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अंतर-धार्मिक एकता के माध्यम से संकट में आध्यात्मिक शक्ति, 12 का भाग 2

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अब हम आपको प्रार्थना सभा के दूसरे भाग को देखने के लिए आमंत्रित करते हैं शीर्षक "अंतर-धार्मिक एकता के माध्यम से संकट में आध्यात्मिक शक्ति", सुप्रीम मास्टर चिंग हाई (वीगन) के, एपिस्कोपल चर्च के फादर कॉलिन, लैगुना बीच हरे कृष्ण मंदिर के अध्यक्ष बड़ा हरिदास, सेंट कैथरीन कैथोलिक चर्च के फादर बिल क्रेकेलबर्ग के साथ, तथा चबाड यहूदी केंद्र के रब्बी एलीमेलेक गुरेविच का मार्मिक संदेश, लैगुना बीच, कैलिफोर्निया, अमेरिका में, 6 नवंबर 1993 को।

(अब मैं आपका परिचय सुप्रीम मास्टर चिंग हाई से कराना चाहूँगी।) धन्यवाद। मैं आपको अजीब लग रही हूँ, पर मैं कोई अजनबी नहीं हूँ। हमारे संगठन ने इन दिनों आपके सभी दुखों और आशंकाओं को, हम कर सकते हर संभव तरीके से, आपके साथ साँझा किया है, साथ ही हाल ही में मध्य-पश्चिम में बाढ़ राहत। और हमारे शिष्यों ने अपनी छोटी सी क्षमता में कई लाख डॉलर एकत्र करने का प्रयास किया है ताकि बच्चों के लिए खिलौने तथा आपकी तत्काल आवश्यकता के लिए कुछ प्रसाधन सामग्री खरीदी जा सके। मुझे आशा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में आ जाने वाले लोगों के प्रति हमारी सहानुभूति और प्रेम का प्रतीक होगा, भले ही यह बहुत अधिक न हो।

एक समय मेरा एक कार्यालय था और मेरा एक छोटा सा घर भी था। यह एक छोटा सा लकड़ी का घर था, लेकिन परिस्थितियों के कारण इसे ध्वस्त कर दिया गया। और मैंने स्वयं इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया था। वह घर मेरे पास केवल दो या तीन साल तक रहा। मैं उस घर में सोती थी, उसी घर में काम करती थी और हम उस घर में कभी-कभी छोटी-मोटी पार्टियाँ या चाय-नाश्ता भी करते थे। और फिर भी, मैंने इसे स्वयं ही ध्वस्त करवा दिया था। लेकिन जब भी मैं उस घर के पास से गुजरती, मुझे एक प्रकार की पुरानी याद आ जाती और मैं उदास हो जाती। यद्यपि मैं एक आध्यात्मिक व्यक्ति हूँ, मुझे अभी भी बहुत दुःख है। मुझे वो सारी हंसी और आंसूओ, और वह सुंदर साथ साथ दुखद पलें याद हैं जो इन लकड़ी की चार दीवारों के अंदर कैद थी। और कभी-कभी यह देखकर मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं, इसलिए मैं समझ सकती हूं कि आप कैसा महसूस करते होंगे, जब आपमें से कुछ लोगों ने अपना पूरा जीवन इन खूबसूरत हवेलियों में बिताया हो। मैं नहीं जानती कि मेरी उपस्थिति से आपको कोई फर्क पड़ेगा या नहीं, या मेरी प्रार्थना आपके लिए सहायक होगी या नहीं। लेकिन चूंकि मैं यहां हूं, मैं समझती हूं। […]

(और अब मैं आपका परिचय लागुना बीच हरे कृष्ण मंदिर के अध्यक्ष, बड़ा हरिदास से करवाना चाहूंगी।) […] सौभाग्यवश, हममें से किसी की जान नहीं गयी, लेकिन ये हमारे लिए कुछ सबक हैं कि हम देखें कि जीवन में वास्तव में क्या महत्वपूर्ण है और स्थायी वास्तव में क्या है। और नुकसान के इस समय में किसी को दोष देने का कोई फायदा नहीं है, बल्कि हमें सीखने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि हममें से प्रत्येक से, देर-सवेर, सब कुछ छीन लिया जाएगा। अतः उस समय जब सब कुछ समाप्त हो जाता है, तो हमारे पास केवल एक ही चीज़ बचती है, वह है परमेश्वर के प्रति हमे जो कुछ प्रेम है। यदि हम केवल इस संसार की वस्तुओं से ही लगाव रखेंगे तो हम निश्चय ही बहुत भ्रमित, निराश और भयभीत हो जायेंगे। परन्तु यदि हममें वास्तव में परमेश्वर के प्रति प्रेम है, तो वह प्रेम हमें उनके पास ले जाएगा और हमें इस जीवन की सभी उथल-पुथल से पार पाने में सक्षम बनाएगा। […]

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