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जब भी मैं आपको देखती हूँ तो हमेशा अपने आप को साफ करती हूँ, नहाती हूँ, नए कपड़े बदलती हूँ। यहाँ कुछ और भी है... साँझा करें, सिर्फ अपने समूह में ही नहीं, हर जगह साँझा करें। सब लोग एक। हमारे पास खरीदारी करने के लिए पर्याप्त लोग नहीं हैं। […]सब कुछ तो नहीं, लेकिन मुझे भारत याद है (जी हाँ, अधिकांशतः)। जब आप वहां हों तो यह बहुत ही किफायती है। (लोग बहुत अच्छे हैं।) हाँ, वे हैं। (एक साल पहले, हमारा एक भाई औलासी (वियतनामी) आया था, और उसे होटल नहीं मिला। और वह सड़क पर खड़ा था, और उस ठेले पर उसने अपना सामान रख दिया। सबने उन्हें भोजन दिया। “कृपया हमारे साथ भोजन करें।” वह वहां खाना लेकर गया, फिर उसने कुछ पैसे रखे, लेकिन उन्हें कभी पैसे नहीं चाहिए थे। और सुबह-सुबह वह चला गया।) […] हाँ, कुछ लोग ऐसे ही होते हैं, (जी हाँ, लोग बहुत अच्छे होते हैं। हाँ।) भारत में अधिकांश लोग अभी भी बहुत मिलनसार हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग। (और जितने अधिक गरीब लोग होंगे, वे उतने ही अधिक महान होंगे।) हाँ, और अधिक धार्मिक। (हाँ, अधिक धार्मिक, ईश्वर-भक्त।) और अधिक स्वच्छ। […]Photo Caption: जीवन कहीं भी फिर से शुरू हो सकता है!